कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के जुलाई 2025 के पेरोल आँकड़े भारत में औपचारिक रोज़गार के निरंतर विस्तार को दर्शाते हैं। इस महीने के दौरान, ईपीएफओ ने 21.04 लाख नए सदस्यों के जुड़ने की सूचना दी। यह जुलाई 2024 की तुलना में लगभग 5.55 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दर्शाता है। हालाँकि यह वृद्धि मज़बूत है और एक सकारात्मक रुझान को दर्शाती है, यह मई और जून 2025 जैसे कुछ पूर्ववर्ती महीनों में देखी गई रिकॉर्ड शुद्ध वृद्धि से थोड़ी कम है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये आँकड़े अनंतिम हैं, क्योंकि ये प्रतिष्ठानों द्वारा अपने इलेक्ट्रॉनिक चालान-सह-रिटर्न (ईसीआर) रिकॉर्ड दाखिल करने या संशोधित करने पर आधारित हैं।
ईपीएफओ सदस्यता में निरंतर वृद्धि दर्शाती है कि औपचारिक रोज़गार बाजार गति बनाए हुए है, जो भारत की आर्थिक स्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। निरंतर वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में औपचारिक नौकरियों की निरंतर मांग को रेखांकित करती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते औपचारिकीकरण की दिशा में व्यापक संरचनात्मक बदलावों को दर्शाती है।
जनसांख्यिकीय रुझान
जुलाई 2025 के पेरोल आंकड़ों की सबसे खास विशेषताओं में से एक नए सदस्य आधार में युवाओं का दबदबा है। नए नामांकित सदस्यों में से लगभग 61 प्रतिशत 18 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। इसका मतलब है कि इस एक महीने में लगभग 6 लाख युवा कर्मचारी औपचारिक कार्यबल में शामिल हुए। पिछली बार ईपीएफओ से बाहर होने के बाद फिर से जुड़ने वालों को शामिल करते हुए, इस आयु वर्ग ने 9 लाख से अधिक नए सदस्यों का योगदान दिया, जो साल-दर-साल 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर को दर्शाता है। यह रुझान उत्साहजनक है, क्योंकि यह दर्शाता है कि श्रम बाजार में प्रवेश करने वाले युवा औपचारिक रोजगार के अवसरों को अपना रहे हैं।
इसके अलावा, जुलाई में बड़ी संख्या में लगभग 16.43 लाख सदस्य ईपीएफओ प्रणाली में वापस आए। इन कर्मचारियों ने अपनी संचित भविष्य निधि शेष राशि को निपटाने के बजाय स्थानांतरित करने का विकल्प चुना, जो औपचारिक रोजगार और सामाजिक सुरक्षा लाभों में नए सिरे से विश्वास का संकेत देता है। यह पुनः एकीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल नए रोजगार सृजन को दर्शाता है, बल्कि बेरोजगारी या अनौपचारिक काम के दौर के बाद, संभवतः औपचारिक नौकरियों में श्रमिकों के पुनः प्रवेश को भी दर्शाता है।
औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। जुलाई में ईपीएफओ में लगभग 2.8 लाख नई महिला सदस्य जुड़ीं, जिससे महिलाओं के वेतन में शुद्ध वृद्धि 4.42 लाख रही। हालाँकि यह साल-दर-साल 0.17 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्शाता है, लेकिन यह औपचारिक रोज़गार में महिलाओं की भागीदारी में सुधार की निरंतर चुनौती का संकेत देता है। भौगोलिक दृष्टिकोण से, महाराष्ट्र वेतन वृद्धि में योगदान देने वाला शीर्ष राज्य बनकर उभरा, जिसकी शुद्ध वृद्धि में 20 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रही। कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिनमें से प्रत्येक की कुल वृद्धि में 5 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रही।
क्षेत्रगत अंतर्दृष्टि
जुलाई 2025 में वेतन वृद्धि की क्षेत्रीय संरचना, औपचारिक रोजगार के विस्तार के बारे में दिलचस्प पैटर्न दर्शाती है। शुद्ध वृद्धि का सबसे बड़ा हिस्सा, लगभग 40 प्रतिशत, विशेषज्ञ सेवा क्षेत्र से आया। इस क्षेत्र में जनशक्ति आपूर्तिकर्ता, ठेकेदार, सुरक्षा एजेंसियाँ और संबद्ध आउटसोर्सिंग मध्यस्थ शामिल हैं। इसका प्रभुत्व दर्शाता है कि वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अनुबंधित कर्मचारी और आउटसोर्स श्रम औपचारिक रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण चालक बने हुए हैं।
विशेषज्ञ सेवाओं के अलावा, उल्लेखनीय वेतन वृद्धि में योगदान देने वाले अन्य क्षेत्रों में लौह अयस्क खनन, विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थान, बीड़ी निर्माण, परिधान निर्माण, अस्पताल, वाणिज्यिक व्यापार और ट्रैवल एजेंसियाँ शामिल हैं। यह विविधता दर्शाती है कि श्रम-प्रधान विनिर्माण और सेवा क्षेत्र, दोनों ही नए औपचारिक श्रमिकों को सक्रिय रूप से शामिल कर रहे हैं।
लौह अयस्क खनन और बीड़ी निर्माण जैसे संसाधन-उन्मुख उद्योगों की उपस्थिति, उन क्षेत्रों में औपचारिक श्रम की निरंतर मांग की ओर इशारा करती है, जिनकी विशेषता अक्सर कम मजदूरी और उच्च श्रम तीव्रता होती है। दूसरी ओर, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वाणिज्यिक व्यापार क्षेत्रों में वृद्धि, सेवा-उन्मुख भूमिकाओं में कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों की बढ़ती मांग का संकेत देती है।
दिलचस्प बात यह है कि हाल के महीनों में विशेषज्ञ सेवाएँ और अनुबंधित कर्मचारी लगातार ईपीएफओ वेतन वृद्धि में अग्रणी योगदानकर्ता रहे हैं। यह प्रवृत्ति सृजित हो रही नौकरियों की स्थिरता और गुणवत्ता पर सवाल उठाती है, क्योंकि अनुबंधित भूमिकाएँ स्थायी रोज़गार की तुलना में कम नौकरी सुरक्षा और कम लाभ प्रदान कर सकती हैं।
विकास की चुनौतियाँ
हालाँकि समग्र वेतन आँकड़े औपचारिक रोज़गार के लिए एक सकारात्मक दिशा दर्शाते हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ और बारीकियाँ ध्यान देने योग्य हैं। पहला, जुलाई 2025 में वृद्धि, हालाँकि स्वस्थ थी, वर्ष की पहली छमाही में दर्ज किए गए शिखर से कुछ कम थी। उदाहरण के लिए, मई 2025 में 20 लाख से अधिक की शुद्ध वृद्धि हुई, जो अब तक का उच्चतम स्तर है।
दूसरा, औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम बनी हुई है। मामूली सुधारों के बावजूद, साल-दर-साल 0.17 प्रतिशत की मामूली वृद्धि कार्यस्थल पर लैंगिक पूर्वाग्रहों, सामाजिक मानदंडों और बुनियादी ढाँचे से जुड़ी समस्याओं जैसी स्थायी बाधाओं को उजागर करती है जो औपचारिक रोज़गार में महिलाओं के व्यापक समावेश में बाधा डालती हैं।
तीसरा, नई नौकरियों के प्रमुख स्रोत के रूप में विशेषज्ञ सेवाओं और अनुबंधित कर्मचारियों का प्रभुत्व नौकरी की गुणवत्ता के बारे में चिंताएँ पैदा करता है। संविदात्मक भूमिकाओं में अक्सर स्थिरता, करियर विकास की संभावनाओं और व्यापक सामाजिक सुरक्षा लाभों का अभाव होता है, जिससे श्रमिकों की समग्र भलाई प्रभावित हो सकती है।
अंत में, पेरोल डेटा की अनंतिम प्रकृति का अर्थ है कि जैसे-जैसे अधिक प्रतिष्ठान अपनी फाइलिंग को अपडेट करेंगे, संख्याओं में संशोधन हो सकता है। इससे आगामी रिपोर्टों में शुद्ध वृद्धि के आंकड़ों और वृद्धि दर में समायोजन हो सकता है।
अंतिम विचार
जुलाई 2025 के ईपीएफओ पेरोल डेटा एक औपचारिक रोजगार परिदृश्य की तस्वीर पेश करते हैं जो लगातार बढ़ रहा है लेकिन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। युवा श्रमिकों का भारी आगमन और पूर्व सदस्यों का फिर से जुड़ना एक गतिशील श्रम बाजार को दर्शाता है जो तेजी से श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में खींच रहा है।
साथ ही, महिला रोजगार में अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि और संविदा कर्मचारियों पर भारी निर्भरता उन क्षेत्रों का संकेत देती है जहाँ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं को अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए औपचारिक रोजगार के अवसरों का विस्तार करना और नौकरियों की गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ाना समावेशी और टिकाऊ रोजगार वृद्धि को बनाए रखने की कुंजी होगी।
क्षेत्रवार, विशेषज्ञ सेवाओं से लेकर खनन और स्वास्थ्य सेवा तक के विविध योगदान से संकेत मिलता है कि औपचारिक रोजगार अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में फैल रहा है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच श्रम बाजार में लचीलापन लाने के लिए यह संतुलित वृद्धि आवश्यक है।
भविष्य में, औपचारिकता को गहरा करने, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और रोज़गार की स्थिरता में सुधार लाने के प्रयास सकारात्मक रुझानों को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे कि रोज़गार लाभ दीर्घकालिक आर्थिक कल्याण में परिवर्तित हों।
यदि आप चाहें, तो मैं पिछले कुछ वर्षों के विस्तृत चार्ट या रुझानों की तुलना भी प्रदान कर सकता हूँ ताकि वेतन वृद्धि के विकास पर एक स्पष्ट दृष्टिकोण मिल सके। क्या आप इसमें रुचि लेंगे।